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Wednesday, June 7, 2017

मजहबी जहर और मोहब्बत का संघर्ष

जिंदगी के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा था उस समय, जब उसने मुझे संभाला... पिछले 5 सालों से सारी इच्छाएं-आकांक्षाएं त्याग कर सिर्फ तुम्हें पाने के लिए संघर्ष कर रहा था... अपने घरवालों की अपेक्षाओं से, तुम्हारे घरवालों के 'अत्याचार' से, कथित दोस्तों की हिकारत भरी निगाहों से, मर्यादा और सामाजिक प्रतिष्ठा के नाम पर फैलाए जा रहे उस मजहबी जहर से चल रहा संघर्ष अब मुझे तोड़ने लगा था...

उसने तुम्हारे मोहजाल से बाहर निकाल पर जिंदगी जीने की नई-नई वजहें देने की कोशिशें शुरू कीं। नया घर बनाना काफी आसान होता है लेकिन पुराने घर को बिना तोड़े नया आकार देना बेहद मुश्किल होता है। वह मुझे नया रूप दे रही थी... मेरी जिंदगी का हर वह सच जिसे तुम्हारे घरवालों ने अपने 'अहंकार' की वशीभूत होकर झूठ में तब्दील कर दिया था, वो उसे समझती थी। तुम्हारे साथ बिताए हसीन लम्हों की कहानियों को बड़े चाव से सुनती थी वो... 

आज उससे मिले 7 साल हो गए हैं, मेरी जीवनसंगिनी है वो और पता है, वो आज भी तुम्हें पढ़ती है... कितना मुश्किल होता होगा एक लड़की के लिए अपने प्रेमी से पति बन चुके इंसान से उसी की प्रेम कहानी सुनना... मैंने पूछा भी उसको, मैंने कहा कि अगर उसे नहीं पसंद है तो मैं तुम्हें नहीं लिखूंगा लेकिन वो पागल कहती है कि मैं अपना वह वादा पूरा करूं जो मैंने तुमसे तुम्हारी पहचान बनने का किया था... 
#क्वीन

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