यह मेरी उजड़ी हुई जिंदगी की कहानी है, लेकिन अपनी कीमत का अंदाजा इस बात से लगाओ कि मेरी इस कहानी में सबसे मजबूत किरदार तुम्हारा ही तो है। तुम मुझसे पूछती थी ना कि मेरी जिंदगी पर तुम्हारा कितना अधिकार है? जरा बताओ तो कि खुद पर तुम्हारा कितना अधिकार है? तुम ही तो थी मेरी जिंदगी...और देखो ना मैंने तुम्हारा अधिकार अब तक नहीं छीना... आज भी मेरी कलम से निकला पहला शब्द कुछ भी हो लेकिन आखिरी शब्द तुम पर ही खत्म होता है। तुमने मेरे बहुत से स्केच बनाए लेकिन तुमको पारंगत नहीं कह सकता... पारंगत तो तब मानता जब उन चित्रों में तुम मेरी खुशी और मेरे दर्द को भी जगह दे पाती...
आसमान में एक चांद होता है लेकिन तारे करोड़ों होते हैं, अगर किसी दिन कुछ तारे ना भी दिखें तो कोई फर्क नहीं पड़ता... चांद अपनी दूधिया रोशनी से सब कुछ रोशन कर देता है लेकिन अगर उसी आसमान में कुछ तारे ज्यादा दिखने लगें और चांद ना दिखे तो चारों ओर अंधेरा छा जाता है... कुछ ऐसी ही कहानी तो हमारे रिश्ते की भी है... सिर्फ तुम ही तो थी जिसने मेरी जिंदगी को रोशन करके रखा था और आज बहुत से लोग हैं लेकिन जिंदगी के इस अंधेरे में नजरें तुम्हें ही खोजती हैं... काश! तुम इस अंधेरे में एक बार फिर से मेरा हाथ थाम कर कहती कि देखो गौरव, मैं वापस आ गई...
मैं जानता हूं कि इस घने अंधेरे में तुम मुझे नहीं मिलने वाली... तुम्हारे वापस आने कल्पना करना मेरे लिए सिर्फ एक सपना है लेकिन सपने देखने का अधिकार तो है ना मेरे पास... मैं जानता हूं इस अंधेरे में तुम्हारा मिलना नामुमकिन है लेकिन अब तुम्हें खोजना बंद कर तुम्हारे सहारे खुद को खोज रहा हूं...उम्मीद है जिस दिन खुद को पा लिया उसदिन तुमसे किए गए उस वादे को पूरा कर पाऊंगा... हां, वही... तुम्हारी पहचान बनने का वादा...
#क्वीन
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