सबसे ज्यादा पढ़ी गईं पोस्ट

Thursday, October 25, 2018

इसलिए तुम्हारी जगह किसी और को दी

लगा था कि गणनायक की कृपा से मिलन हुआ है हमारा। तुम्हारी कांति का कायल था मैं। तुम्हारी अधमता को समझ ही नहीं पाया। तुम्हारे प्रेम में यूं खोया कि तुम्हारे और मेरे बीच वसन के अतिरिक्त कुछ न बचा। यह सामान्य तो नहीं था...

कौन्तेय की भांति मैं भी अपना वचन निभाने में सक्षम था किंतु तुमने तो साथ चलने का साहस ही न दिखाया। अदम्यता से परिपूर्ण गौरव को तुम्हारी कथित लाचारी एवं उसके अहंकार ने हरा दिया। प्रेम की ऊर्मि आखिर निढाल हो गई। आख़िर कब तक करता इंतजार? कब तक घर के चक्कर लगाता, कब तक बेवजह तुम्हारे पापा के नंबर पर फोन करता, कब तक एक बार चेहरा देखने की उम्मीद लिए चौराहे पर खड़ा रहता, कब तक बेउम्मीद होकर मरने और मारने की तरकीबें सोचता, कब तक उनसे नजरें चुराता जिनको तुम्हारे साथ सात फेरे लेने के वचन दिए थे? हरा दिया था तुमने मुझे, तुम्हारे मासूम चेहरे के पीछे छिपे उस गैरजिम्मेदाराना अनुबंध ने संबंध समाप्त करने पर विवश कर दिया। अगर वह ना आती तो पूर्ण रूप से निरंकुश हो जाता मैं, और फिर कोई न रोक पाता...

हो सकता है कि तुमको लगता हो कि अगर मेरा प्यार सच्चा था तो तुम्हारे दूर जाने के बाद मैंने किसी और से संबंध क्यों जोड़ा? सवाल जायज है लेकिन प्यार दोतरफा, शाश्वत एवं विवेकसम्पन्न होता तो मुझे कभी फिर से आकर्षण नहीं होता। वादे के मुताबिक, 3 साल तक लोग तुम्हें प्यार करते रहे, कामना करते रहे कि उन्हें हमारे जैसा प्यार मिले लेकिन मैं नहीं चाहता कि किसी का प्यार हमारी तरह हो... जिसमें सिर्फ धोखा, बेवफाई और असि की भांति घाव देने की क्षमता हो...
#क्वीन #पुरानी_कहानी

तुम दूर गई तो नफरत बढ़ी, प्यार नहीं...

कहते हैं कि आप जिससे प्यार करते हो, अगर वह दूर जाए तो प्यार बढ़ता जाता है लेकिन यह सत्य नहीं है। जब से तुम दूर गई हो, तब से तो हर दिन, हर पल तुम्हारे लिए नफरत बढ़ती ही जा रही है। प्रेम की वैजयंती लहराने के लिए मधुमास का आगमन होता उससे पहले ही प्रेम कैवल्य को प्राप्त हो गया।

मृगांक की रोशनी में तुम्हारे उपवास का पारायण कराने का स्वप्न अन्तक के मुख में विलीन हो गया। अब जितनी बार भी तुम मेरे सामने आती हो, ईश्वर का धन्यवाद देता हूँ कि तुम्हारी रम्यता के मोहपाश से बच गया। वृष्टि के बीच मेरे नयनों से होने वाली वर्षण किसी को नहीं दिखी,लेकिन आज तुमसे दूरी बनाने की वजह से चेहरे पर अद्भुत द्युति छा गई है।

प्रथम प्रयास को अंतिम लक्ष्य मान लिया था लेकिन भूल गया था कि पहली बार में कोई पूर्ण दक्ष नहीं हो जाता। अनुभव की पाठशाला ने बहुत कुछ दे दिया, दूसरी बार जब मन में प्रेम का आविर्भाव हुआ तो मैं पारंगत हो चुका था, उसे सहेजकर रखने में। देखो ना, आज वेदना एवं प्रेम के संयुक्त भाव को शब्द देकर मृगमद की भांति महकने लगा हूँ। अगर यह सब ना होता तो शायद मां वाग्देवी की कृपा न बरसती।
#क्वीन #पुरानी_कहानी