4-5 दिन में सिर्फ 1-2 बार बात होती थी हमारी, मेसेज से भी दिन में 5-10 मिनट ही बात होती थी। महीने में 1-2 बार बड़ी मुश्किल से मिल पाते थे हम... ऐसा नहीं था कि हम में से किसी पर भी बंदिशें थीं, तुम तो चाहती भी थी कि दिन भर बात करती रहो लेकिन मैं... मैं ही तुमसे बात करने का टाइम नहीं निकाल पाता था... कुछ तो व्यस्तताएं थीं और दूसरी बात यह कि मेरे पास बातें भी नहीं होती थीं.. जीवन में कुछ ऐसा था ही नहीं जिसे शेयर करने के लिए किसी 'खास' शक्स की जरूरत हो... सब कुछ तो दुनिया के सामने था... जिंदगी का हर हिस्सा सार्वजनिक था...जितना समय तुम्हारे साथ बिताता था बस वही 'खास' होता था और वह समय भी बस तुम्हारी मासूमियत को महसूस करने में ही निकल जाता था।
पर उस दिन जब तुम मुझसे दूर गई तो उसके बाद जो खुद की हकीकत मेरे सामने आई, उसने तो हालात ही बदल दिए... एक ही दिन में ऐसा लगा कि सब बदल गया... जिसके पास बात करने के लिए 'बात' नहीं होती थी, वह इंसान टूटता जा रहा था... वह चाहता था कि अपने मन की उथल-पुथल किसी से शेयर करे... एक छोटे से फैसले ने सब-कुछ बदल दिया था... और तुम्हें पता है, वह आज भी हजारों बातों को अपने दिल में दबाकर बैठा है... वह चाहता है कि उन बातों को किसी से शेयर करे पर उसके पास ऐसा कोई इंसान नहीं है... वह जानता है कि तुम भी यह बात जानती हो लेकिन वह अब तुम्हें अपनी जिंदगी में वापस नहीं लाना चाहता..वह तो बस तुमको बताना चाहता है कि तुम उसे लिए बहुत 'खास' थी... यही समझाने की कोशिश में तो उसने कई साल बिता दिए थे...
#क्वीन
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