और फिर, जब तुम 3 दिन बाद मिली तो मुझे उम्मीद थी कि तुम कहोगी, 'गौरव, तुमसे एक काम भी ठीक से नहीं होता।' लेकिन तुमने तो कहा, 'चलो, अच्छा हुआ कि मम्मी को पहली बार में ही सब पता लग गया, ज्यादा झूठ नहीं बोलना पड़ा।' आदत हो गयी थी तुम्हारी.. ज़रूरत बन गई थी तुम, बिलकुल वैसी ही जैसे किसी थक कर चूर हो चुके आदमी को सुकून वाली नींद की ज़रूरत होती है। मुझे मालूम होता था कि मेरे 'ये' कहने पर तुम 'वो' कहोगी और तुम हर बार 'वो' ही कह देती थी। दिल पहले ही जान जाता था कि किस बात पर तुम्हारा क्या रिऐक्शन होगा।
लेकिन उस ईद पर मात खा
गया था। उम्मीद से बिलकुल उलट बात कही थी तुमने लेकिन तुम्हारी सच्चाई ने
एक बार फिर दिल जीत लिया था... वो आखिरी ईद थी जब हम एक दूसरे से मिले
थे... अब तो बस हर ईद पर तुम्हारी मां के द्वारा दिए गए उस बंद हो चुके नोट
में अपनी अधूरी मोहब्बत के पूरी न होने की वजह खोजने की नाकाम कोशिश होती
है...
#क्वीन
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