तुम्हें अंतिम बार जब देखा था तो बहुत खुश था, इसलिए नहीँ कि तुम बहुत खूबसूरत लग रही थी बल्कि इसलिए क्योंकि मैं उस जगह पर आखिरी शख्श था जो तुम्हें देख रहा था।
तुम चली गई। उम्मीद थी कि तुम अपनी मंजिल तक पहुँच कर मुझसे एक बार तो बात जरूर करोगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कुछ दिन के इन्तजार के बाद मैंने तुम्हारा नंबर भी डिलीट कर दिया। जिंदगी की पहली ऐसी लड़की थी तुम जो मेरी कल्पनाओं को हक़ीक़त में बदल सकती थी। पता नहीं इसे मोहब्बत कहते हैं या कुछ और। मुझे तो बस इतना पता है कि जिस दिन तुम मेरी नजरों से देखोगी, तुम्हें अपनी ज़िन्दगी और भी खूबसूरत लगने लगेगी।
तुमने मुझे बहुत कुछ दिया है, अनजाने में ही सही लेकिन दिया तो है ही...
कल पूरे दिन तुम्हारी कॉल का इंतजार किया, लेकिन परिणाम तो शून्य ही होना था क्योंकि मेरा लक्ष्य भी तो 'शून्य' की प्राप्ति ही तो है...
मेरा स्वाभिमान ही मेरी ताकत है...और तुम्हारा 'बचपना' मेरी कमजोरी....
#क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
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