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Tuesday, October 25, 2016

तब तुम मेरी ताकत थी और आज...

कुछ किस्से कागजों पर तो कुछ दिल में आबाद हैं। तुम्हारी आंखों ने पता नहीं कितने धोखे दिए। लोग कहते थे कि आंखें हमेशा सच बोलती हैं, आंखों में हर सच दिखाई देता है लेकिन मेरे साथ तो हर बार तुम्हारी आंखों ने ही फरेब किया, हर बार उन आंखों पर भरोसा करके लुटता ही रहा।

पता है, अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो इस बात से उसकी बेवकूफी का अंदाजा नहीं लगाना चाहिए, बल्कि यह सोचना चाहिए उस इंसान को आपसे मोहब्बत कितनी थी कि आपकी हर एक बात पर अंधविश्वास करता गया। मैं इसलिए हर बार हारता गया क्योंकि मेरी हार की वजह से तुम्हें जीत मिल रही थी और तुम्हारी जीत से बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं था।

जब पता लगा कि मेरे दर्द पर तुम मुस्कुराती हो तो ईश्वर से दुआओं में दर्द ही मांगने लगा। और वैसे भी प्रकृति का नियम है कि जो जैसा करता है, उसे उसके अनुरूप ही परिणाम मिलता है। क्या हुआ जो तुम किसी और के लिए मुझे छोड़ कर चली गई। मैंने भी तो तुम्हारे लिए सबको छोड़ दिया था...बुजदिल नहीं था मैं, परिणाम जानता था... देखो, हौसलों ने साथ और आज भी खड़ा हूं, उतनी ही मजबूती से, उससे बेहतर स्थिति में... बस तब तुम ताकत बनकर मेरे साथ खड़ी थी और आज तुम्हारे साथ बिताए गए लम्हें मेरी ताकत बन चुके हैं...
#क्वीन

मेरे वजूद में जिंदा हो तुम

मुझे नहीं पता कि आज तुम कहां और कैसी हो...ना ही मैंने कभी इस बारे में पता करने की कोशिश की और ना ही पता करने की जरूरत समझी... तुम्हें पाने की कभी तमन्ना ही नहीं रही, तुम हो, बस इतना ही काफी है। क्या गलती थी तुम्हारी या मेरी जो आज हमें एक-दूसरे का पता नहीं...सच कहूं, तो वह कोई गलती नहीं थी, वह तो जरूरत थी समय की... मुझे अब उस बात का, उस दिन का बिलकुल अफसोस नहीं...

इस दुनिया में अगर कोई और किसी तरह का गुनाह करता है तो शोर मचने लगता है लेकिन जब अपना गुनाह होता है तो चुप्पी छा जाती है... पता है हममें खास बात क्या है... हम दोनों में से किसी ने एक-दूसरे को अलग होने को जिम्मेदार नहीं ठहराया। यह हमने उस दौर में किया जब 'जरूरत' रिश्तों की बुनियाद में इस कदर बैठ चुकी है कि रिश्तों की मर्यादा शून्य हो गई है। ठंड में लोग जिस सूर्य के लिए तरसते हैं, उसके बाहर आने की दुआएं करते हैं और गर्मी में उसे ही गाली देते हैं, उसी तरह से आज के रिश्ते हो गए हैं।

बस इतनी सी तमन्ना है कि कभी जिन्दगी के किसी मोड़ पर अगर हम दोनों एक-दूसरे से टकराएं तो हमें नजरें झुकाकर बात ना करनी पड़े। मैं अपने रिश्ते के अवाचित शाश्वत सत्य को हर दिन एक नया मुकाम देने की कोशिश करता रहा। हमें पता होता है कि हमारी बनाई रंगोली अगले ही दिन मिट जाएगी, फिर भी हम उसे सर्वाधिक मनमोहक, आकर्षक और कलात्मक रूप देने का प्रयास करते रहते हैं। उसी रंगोली की तरह ही मैं जानता था कि हमारे रिश्ते का कोई वजूद नहीं, कोई भविष्य नहीं लेकिन फिर भी उसे एक खूबसूरत मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया... और देखो आज लोग तुम्हें एक नए नाम से खोज रहे हैं... और तुम मेरी पहचान बनकर मेरे वजूद में जिंदा हो...
#क्वीन