तुम अपनी बालकनी में खड़ी थी उस दिन और मैं तुम्हारे घर के नीचे... बारिश का मौसम बन रहा था और बारिश से पहले की ठंडी हवा ने तुम्हारे सर से तुम्हारे चेहरे के रंग वाले गुलाबी दुपट्टे को तुम्हारे सर से नीचे गिरा दिया था.. उसके बाद हवा के उस झोंके से तुम्हारे बाल जिस तरह से उड़े थे, यकीन मानो उसके बाद जब मैं उस दिन की बारिश में भीगकर बीमार हुआ तो ऐसा लग रहा था जैसे उस 30 सेकंड के हसीन दृश्य के लिए 6 दिन का बुखार काफी कम है।
बुखार के कारण मैं तुमसे नहीं मिल पाया पर तुम भी दूरी को बर्दाश्त नहीं कर पाई और आ गई तीसरे दिन मेरे पास... 3 दिन में 21 स्केच बनाए थे तुमने और फिर अपने ही बनाए स्केच को दिखाकर हंस रही थी... फिर अचानक तुम्हारी आंखों में आंसू आ गए... तुम तो जानती थी ना... बस वे दो बूंद ही तो मेरी कमजोरी बन जाते थे... उन आंसुओं की कीमत अगर मेरी सारी खुशियां होती तो इस कीमत को चुकाने से भी परहेज नहीं करता लेकिन तुम्हारे उन आंसुओं को रोकने के लिए कुछ और ही कीमत चुकानी पड़ी... अवांछित कीमत थी.. पर तुम्हारी खुशी का मामला था तो चुकाने से पीछे हटना संभव नहीं था... चुका दी वह कीमत भी... हमेशा के लिए तुमसे दूर जाकर... लेकिन एक वादा है कि मेरी जिंदगी से तो दूर चली गई हो पर अपनी सोच से कभी तुम्हें दूर नहीं होने दूंगा...
#क्वीन
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