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Wednesday, June 7, 2017

नई क्लास का वह तीसरा दिन...

नई क्लास का तीसरा दिन था वह... जब पहली बार तुम्हें देखा था। देखा तो क्या था, बस यूं समझो कि तुममें खुद को खोकर बदहवास सा हो गया था। 2 मिनट के बाद पूरी क्लास की नजरें मुझ पर थीं और मेरी तुम पर। सादगी और लालिमा का अद्भुत मेल दिख रहा था तुम्हारे चेहरे पर। पता है, आज भी जब तुम्हें सोचता हूं तो तुम्हारा चेहरा उसी रूप में मेरी आंखों के सामने आ जाता है...

लोग कहते हैं कि यादें हमेशा होंठों पर मुस्कान ले आती हैं मगर मेरा मानना है कि यादें, यदि मुस्कान लाती हैं तो उस के साथ-साथ उस पल के बीत जाने का ग़म भी साथ लाती हैं जिस पल ने उन्हें यादें बना दिया। यादें, जिसमें न जानें कितनी गहराई छुपी हुई है। यादें, जो खट्टी भी होती हैं और मीठी भी। कोई साथ निभाये या ना निभाये, मगर हमेशा साथ निभाती हैं, ये यादें। 

कई बार ऐसा भी होता है कि आप अपने जीवन में कुछ यादों से भागना चाहते हैं, लेकिन चांद पर लगे दाग की तरह ये हमेशा साथ रहती हैं। न जाने कितने जज़्बातों का समंदर होती हैं ये यादें, जिसमें यह दिल की कश्ती डूबती, संभालती बस दिनकर के नियमित जीवन की तरह चलती ही चली जाती है। 

तुम्हारे साथ बिताए गए बेहद खास और हसीन लम्हों की यादों के अलावा मेरे पास कुछ ऐसी यादें भी हैं जिन्हें मैं याद नहीं रखना चाहता लेकिन क्या करूं यादें हैं ना, भूल भी नहीं सकता। इन यादों के पीछे का सच मुझे जीने नहीं देता, पल-पल, हर पल वे यादें तुम्हें मुझसे दूर जाकर किसी और के आगोश में होने का अहसास कराती हैं। अफसोस, मुझे इस सच के साथ ही जीना होगा लेकिन एक सच ऐसा भी है जिसे मैं अपने साथ लेकर नहीं जी सकता और इसलिए उस सच को झूठ में बदल दूंगा। तुम मेरी न हुई तो क्या हुआ लोग तुम्हें मेरे नाम से ही जानेंगे। क्वीन... गौरव की #क्वीन

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