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Thursday, June 23, 2016

कौन हो तुम...

लोग पूछते हैं कौन हो तुम।
अगर बताता हूँ तो मानते नहीं। क्यों नहीं हो सकती तुम वो?
कुछ पुराना:
क्या मेरा 'काफिर' होना मेरी गलती थी। बिलकुल नहीं।
ये तो एक तोहफा था जो मेरे पूर्व जन्मों के सद्कर्मों के कारण मिला था।
सिर्फ इस बात की वजह से तो नहीं गई थी ना तुम, फिर वजह क्या थी? बस उसी वजह को तो आज तक खोज रहा हूँ।
काश कोई बता पाता...
‪#‎क्वीन‬

अब लोग 'तुम्हें' पूछते हैं...

याद है तुम्हें, तुमने कहा था कि अगर अब कभी 'ये' सब लिखा तो मुझसे बात मत करना। मैंने तुम्हारी नहीं मानी, खैर तुमने कहा कि जैसा मन है वैसा करो लेकिन मुझसे सपॉर्ट की उम्मीद मत रखना।
मैंने भी कब अपेक्षा की थी की कोई मेरे दायित्व में मेरा साथ देते हुए साझेदारी करेगा। 
लेकिन अपने मन के उन विचारों को किससे शेयर करता जो सिर्फ मेरे थे, जो किसी और के हिस्से में नहीं आते थे।
खैर, वह भी एक दौर था...काफी सुखद भी था...
जब तुम मेरे साथ थी तब लोग मुझे पूछते थे और अब 'तुम्हें' पूछने लगे हैं।
‪#‎क्वीन‬