याद है ना तुमको, पूरे डेढ़ साल बाद मिले थे हम उस दिन... लेकिन सब बदला बदला सा था...सिर्फ 12 शब्दों का संवाद था हमारा...उसके बाद 7 मिनट तक मैं उस शख्स को खोजता रहा जिससे मुझे मोहब्बत हुई थी...ओह याद आया तुम्हारे लिए वह मोहब्बत ही कहाँ थी। बीते लम्हों को एक बार फिर से तुम्हारे साथ उन 7 मिनटों में ही तो जिया था। पर मुझे ज्यादा ख़ुशी होती अगर तुममें तब भी वही पुरानी वाली चुलबुली सी लड़की अपनी जिंदगी जी रही होती जिससे मैंने मुहब्बत थी।
हां, फिर से मैं उसी तरह से 7 मिनट तक तुम्हारी आँखों को देखता रहा जैसे पहले देखा करता था। तुम खुश थी, तुम्हारी उन आँखों में कुछ खोने का दर्द भी नहीं था...बस इसी का तो कायल था मैं...हर हालात में खुश रहना...अंतर इतना सा है कि पहले की तरह ही मैं उस ख़ुशी की कीमत के बारे में सोच लेता हूँ।
अंदाजा लगाओ तुम्हारे सामने खड़े होकर बिताए गए उन 7 मिनटों के सहारे मैं कितना समय बिता सकता हूँ? 7 और मिनट या 7 घंटे या 7 दिन या 7 महीने या 7 साल या पूरी ज़िन्दगी?
उन सात मिनटों के सहारे तो मैं 7 जन्म बिता सकता हूँ...लेकिन अगर उन 7 जन्मों में तुम मेरे साथ होती तो बात ही कुछ और होती।
#क्वीन
हां, फिर से मैं उसी तरह से 7 मिनट तक तुम्हारी आँखों को देखता रहा जैसे पहले देखा करता था। तुम खुश थी, तुम्हारी उन आँखों में कुछ खोने का दर्द भी नहीं था...बस इसी का तो कायल था मैं...हर हालात में खुश रहना...अंतर इतना सा है कि पहले की तरह ही मैं उस ख़ुशी की कीमत के बारे में सोच लेता हूँ।
अंदाजा लगाओ तुम्हारे सामने खड़े होकर बिताए गए उन 7 मिनटों के सहारे मैं कितना समय बिता सकता हूँ? 7 और मिनट या 7 घंटे या 7 दिन या 7 महीने या 7 साल या पूरी ज़िन्दगी?
उन सात मिनटों के सहारे तो मैं 7 जन्म बिता सकता हूँ...लेकिन अगर उन 7 जन्मों में तुम मेरे साथ होती तो बात ही कुछ और होती।
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