आखिर क्यों लिखता हूं तुम्हें, क्या इसलिए कि लोग कहें कि अरे देखो, गौरव की मोहब्बत तो लाजवाब है? या फिर इसलिए कि लोग मेरे दर्द पर वाह-वाह करें। नहीं! इनमें से कोई कारण नहीं है। फिर सच क्या है? शायद मुश्किल हो तुम्हारे लिए लेकिन सच यह है कि मैंने अपनी मां को बचाने के लिए अपनी भावनाओं का बाजार लगा दिया। और अपनी मां के लिए ही तुम्हें भी अपने सपने में शामिल कर लिया। शायद तुम्हें ये गलत या बुरा लगे लेकिन यही सच है।
क्या सच्ची मोहब्बत के पैमाने किसी भाषा पर आधारित होते हैं। क्या मोहब्बत 'Never Love a Stranger' जैसी चीजें लिखने से ही सच्ची मानी जाएगी। नहीं, मोहब्बत की असली भाषा तो हिंदी है क्योंकि इसमें रिश्ते हैं, रिश्तों में मर्यादा है, मर्यादा में विश्वास है, विश्वास में प्रेम है और प्रेम में संमृद्धता है। अब अगर दुनिया यह मानती है कि मैं गलत कह रहा हूं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर मेरे भाई बहन ही इसे गलत मान लेंगे तो मेरी जिम्मेदारी है कि मां के अस्तिव को बचाने के लिए, मां की वास्तविकता से उनका परिचय कराने के लिए इन विषयों को प्रमाणित करूं। बस मैं अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हूं.... और इसीलिए मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा जब उस लड़के ने कहा कि वह मेरी फेसबुक पोस्ट्स का अंग्रेजी में अनुवाद करेगा।
#क्वीन
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