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Saturday, August 13, 2016

मेरी कामना

मैं जानता हूं कि तुम बहुत ऊपर जाना चाहती हो, तुम्हारे सपने बहुत बड़े हैं लेकिन ऐसी बुलंदियां भी किस काम की जहां तुम तो ऊपर पहुंच जाओ लेकिन मोहब्बत नीचे उतर जाए। तुम्हारे उस 'प्रतिबिम्ब' से मोहब्बत हुई थी मुझे, काश! वह वास्तविक होता। इस 'काश' से कुछ ख्वाब जुड़े थे जो यकीं से परे और हकीकत से कोसों दूर थे। पत्थर से भी कठोर और पानी से भी कोमल उन ख्वाबों से जुड़े किस्से आज मशहूर होते जा रहे हैं लेकिन वह 'काश' एक सुनहरी शाम की तरह ढ़लता जा रहा है।  जिंदगी ने मुझे दुखी होने का सिर्फ एक कारण दिया और वह था तुमसे दूरी लेकिन इसके साथ ही तुमने मुझे मुस्कुराने के जो हजारों कारण दिए थे क्या उनका कोई मोल नहीं था? देखो, आज मैंने जिन्दगी के उस कारण को हरा दिया। और ये मैंने अकेले नहीं किया बल्कि तुमने मेरा पूरा साथ दिया। आखिर तुम थी ही इतनी खास, तुम्हारी वो नाराजगी जो चंद पलों में प्यार को दोगुना कर देती है, तुम्हारी तो मुस्कुराहट जो मेरे हर दुख को भूल जाने पर मजबूर कर देती थी। तुमसे जुड़ी हर एक चीज जिसे हर रात मैं घंटो निहारा करता था।

तुम मेरे पास होकर मुझसे क्या चाहती थी, यह मुझे नहीं पता लेकिन मैं बस तुम्हारे साथ बिताए गए हर एक पल हो एक सुनहरे सपने की तरह जीना चाहता था... एक ऐसा सपना जिसका कभी अंत न हो, जो कभी न टूटे लेकिन सत्य यह है कि मेरी यह कामना अवैज्ञानिक भी थी और अर्थहीन भी...
#क्वीन

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