करवाचौथ है आज, तुम सुबह से बिना पानी पिए चांद का इंतजार कर रही थी और देखो ना चांद तो दिख गया लेकिन तुम चुपचाप कमरे में जाकर बैठ गई। पिछले आठ सालों में 6 बार हम दोनों साथ उपवास पर थे। शादी के वाले साल में भी हम दोनों साथ ही थे, लेकिन देखो ना इस बार मैं ऑफिस में हूं और तुम शनिवार को रखे गए व्रत को रविवार को तोड़ोगी। खैर, मामला सिर्फ जिम्मेदारियों का है, यहां भी और वहां भी...
याद है तुम्हें शादी से पहले मैं रात में तुम्हारे घर के बाहर आता था और तुम चुपके से नीचे आकर मेरे हाथों से दादी के हाथों की बनी खीर खाती थी। आज वह खीर तो बनी होगी लेकिन तुम्हें अपने हाथों से खिलाने के लिए मैं नहीं हूं। तुम नाराज नहीं हो, लेकिन मैं हूं, खुद से कि इस मौके पर तुम्हारे पास नहीं हूं।
आज अनायास ही वह करवाचौथ याद आ गया जब तुम मेरे जीवन में नहीं थी, लेकिन फिर भी मैं चांद का इंतजार कर रहा था। जिसके लिए उपवास रखा था, उसे तो आज तक पता नहीं है लेकिन फिर भी बस यूं ही रख लिया था... तीन घंटे कोचिंग के बहाने उसके घर के नीचे खड़ा रहा था कि कम से कम उसकी मां जब चांद देखने आएंगी तो वह भी साथ में आएगी और मुझे मेरे चांद का दीदार हो जाएगा लेकिन वह नहीं दिखी... अगले दिन कॉलेज में उसे देखने के बाद ही समोसे के साथ चाय पी थी। क्या बचपना था यार... लेकिन बेहतरीन था वह सब भी...
खैर, आता हूं और अगली बार साथ रहने का वादा भी करता हूं....
#क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
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Saturday, October 27, 2018
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