मैं तुम्हारे अंदर अपने भगवान को खोजता था, पता नहीं क्यों लेकिन तुम जैसे ही मेरे सामने आती थी मेरी सारी हसरतें, मेरी आकांक्षाएं, मेरी इच्छाएं शून्य हो जाती थीं। ऐसा लगता था कि मेरे भगवान मेरे सामने आ गए हों, अब जिसके सामने, जिसके साथ उसके भगवान हों, उसे और क्या चाहिए....
समय बीता, माहौल बदला... फिर समझ में आया कि तुम तो मेरे भगवान से भी कहीं ऊपर का दर्जा रखती हो... बताओ भला! मैं हर दिन अपने भगवान की पूजा करता था लेकिन उनसे कभी नहीं पूछा कि भगवान, आपने खाना खाया? उनसे कभी नहीं पूछा कि आपको ठंड तो नहीं लग रही है? उन्हें अपने अवचेतन मस्तिष्क से दिल तक नहीं ला पाया लेकिन तुम्हारे पल-पल की चिंता करता था...
लेकिन इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी... सारी गलती मेरी थी... मैं ही तो था जो यह भी भूल गया कि तुम तो इंसान हो, मेरी तरह ही... अब तुम्हें भगवान की जगह पर बैठा दूंगा तो उन्हें बुरा तो लगेगा ही औऱ लगना भी चाहिए... बस उन्होंने कहा कि जाओ, तुम एक इंसान को मुझसे भी ऊपर का समझ बैठे हो तो मैं तुम्हारे भ्रम को तोड़ देता हूं... और उन्होंने मेरे उस भ्रम को तोड़ दिया... आखिर उनकी भी खुद को लेकर कुछ तो जिम्मेदारियां हैं ना...
तुम्हीं बताओ इन सब बातों के अलावा खुद को सांत्वना कैसे दे सकता हूं मैं?
#क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
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Sunday, January 8, 2017
तब मेरी इच्छाएं शून्य हो जाती थीं
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