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Sunday, January 8, 2017

कैसे उस दिन अपने भाई से नजर मिला पाई होगी तुम?

Displaying 14657379_183520982093034_3353028272577647744_n.jpgशादी हो गई तुम्हारी... कल ही तुम्हारी फ्रेंड ने बताया... बहुत खुश हुआ मैं लेकिन मन में कुछ सवाल थे, कुछ जिज्ञासाएं थीं... क्या 'निकाह-निकाह-निकाह' बोलते समय एक बार भी तुम्हारी जुबान लड़खड़ाई नहीं होगी? आखिर कैसा लगा होगा तुम्हें जब उसने शादी वाली शाम तुम्हारे हाथ को थामा होगा... क्या उसने उस दौरान तुम्हारे हाथों की ढीली पकड़ को महसूस नहीं किया होगा?  क्या तुम्हें मेरे साथ सात फेरे लेने के वादे याद नहीं आए होंगे... क्या तुम अपने उस भाई से नजर मिला पा रही होगी जिसने तुम्हारे आंसुओं से भीगे प्रेम पत्रों को मुझ तक पहुंचाया था...

कैसा लगा होगा तुम्हें जब उसने तुम्हारे माथे से आंचल हटाया होगा... कैसा लगा होगा तुम्हें जब उसने तुम्हारे माथे को चूमा होगा, क्या तब तुम्हारा सुर्ख लाल चेहरा पीला नहीं हो गया होगा... कैसा लगा होगा जब अगले दिन सुबह तुमने खुद को उसकी बाहों में जकड़ा पाया होगा...

काश! काश कि तुम उन ऊंची अट्टालिकाओं ने नीचे जमीन पर आकर मेरी मोहब्बत को समझने की कोशिश करती... काश कि तुम समझ पाती कि बुलंदी से जर्रों का अंदाजा नहीं होता... पता है! अगर तुममें मेरे साथ जिंदगी गुजारने का अरमान होता हो मजहबी दीवारें कभी हमारे बीच में नहीं आतीं लेकिन तुम तो हार के उस कंगूरे पर खड़ी थी जिसकी नींव में सिर्फ मेरी नाकामयाब मोहब्बत मेरी जिंदगी के अनकहे पहलुओं पर मुस्कुराती दिख रही थी...
#क्वीन

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