कैसा लगा होगा तुम्हें जब उसने तुम्हारे माथे से आंचल हटाया होगा... कैसा लगा होगा तुम्हें जब उसने तुम्हारे माथे को चूमा होगा, क्या तब तुम्हारा सुर्ख लाल चेहरा पीला नहीं हो गया होगा... कैसा लगा होगा जब अगले दिन सुबह तुमने खुद को उसकी बाहों में जकड़ा पाया होगा...
काश! काश कि तुम उन ऊंची अट्टालिकाओं ने नीचे जमीन पर आकर मेरी मोहब्बत को समझने की कोशिश करती... काश कि तुम समझ पाती कि बुलंदी से जर्रों का अंदाजा नहीं होता... पता है! अगर तुममें मेरे साथ जिंदगी गुजारने का अरमान होता हो मजहबी दीवारें कभी हमारे बीच में नहीं आतीं लेकिन तुम तो हार के उस कंगूरे पर खड़ी थी जिसकी नींव में सिर्फ मेरी नाकामयाब मोहब्बत मेरी जिंदगी के अनकहे पहलुओं पर मुस्कुराती दिख रही थी...
#क्वीन
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