तुम्हें याद है? उस दिन तुम कॉलेज से जल्दी चली गई थी और मैं लंच टाइम में तुमको यहाँ से वहाँ खोजता रहा। वही 45 मिनट तो होता था मेरे पास, जब मैं तुम्हें इतने करीब से देख पाता था। क्या करता जिस दिन तुमको नहीं देखता था उस दिन मन में एक अजीब सी बेचैनी रहती थी। ऐसा लगता था जैसे कुछ खो सा गया हो। फिर तुम्हारी उस खास दोस्त ने बताया कि तुम्हारी तबियत ख़राब हो गई थी जिसकी वजह से तुम घर चली गई। दोपहर का 1 बज रहा था। मैंने तुम्हें 100 से भी ज्यादा कॉल किए लेकिन तुमने फोन नहीं उठाया। शायद आराम कर रही थी तुम।
तुम्हारे घर के नीचे शाम 7 बजे तक खड़ा रहा। आखिर तुमने फोन उठाया और मुझे अपनी बीमारी की वजह बताई। तुम बिलकुल पागल थी। क्यों करती थी इतनी परवाह उस इंसान की जो तुम्हें कुछ भी नहीं समझता था? उसकी वजह से खुद को बीमार कर लेती थी।
जब मैं दवाइयाँ लेकर वापस तुम्हारे घर आया और तुम दवाइयाँ लेने नीचे आई, उस वक़्त अपनी आँखें देखी थीं? कितनी लाल थीं वे....
कितना रोया था उस दिन मैं... जानती हो क्यों? क्योंकि मुझे तुम्हारे आंसुओं से फर्क पड़ता था, लेकिन तुम्हें.......
#क्वीन
जब मैं दवाइयाँ लेकर वापस तुम्हारे घर आया और तुम दवाइयाँ लेने नीचे आई, उस वक़्त अपनी आँखें देखी थीं? कितनी लाल थीं वे....
कितना रोया था उस दिन मैं... जानती हो क्यों? क्योंकि मुझे तुम्हारे आंसुओं से फर्क पड़ता था, लेकिन तुम्हें.......
#क्वीन
No comments:
Post a Comment