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Sunday, April 9, 2017

RSS और मोहब्बत की संयुक्त 'जीत'

उस दिन तुमने बताया कि तुम्हारे मामा जी मुझसे मिलना चाहते हैं। तुमने उनको हमारे बारे में सब कुछ बता दिया था। जैसे ही मैंने उनको अपना नाम बताया, उनके मुंह से बस एक ही वाक्य निकला, 'हिन्दू हो?' फिर जब तुमने उनको बताया कि मैं संघ से भी जुड़ा हूँ तो उनका लाल चेहरा पीला सा दिखने लगा। पूरे दो घंटे तक उनसे संघ की विचारधारा को लेकर बहस हुई। 

उन्होंने 1000 तर्क देकर यह साबित करने की कोशिश की कि संघ एक कट्टर विचारधारा वाला संगठन है लेकिन व्यवहारिकता के ज्ञान और तुम्हारी मोहब्बत की शक्ति ने आखिर उनसे यह कहलवा ही दिया कि संघ कट्टर विचारधारा वाला नहीं बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा वाला संगठन है। उसके बाद वो जिस तरह से तुम्हारे मेरे प्रेम को नए आयाम दे रहे थे वह सचमुच आश्चर्यजनक था। 

तुमने बताया था ना कि जब तुम्हारेे पापा को मेरे बारे में पता लगा तो उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया था कि एक काफिर से कोई रिश्ता नहीं हो सकता। पता है आज यह बात क्यों याद आयी? आज मैं फिर उसी मंदिर में गया था जहाँ चलने के लिए तुमने मेरे साथ फिल्म देखने के ऑफर को ठुकरा दिया था। तुम तो शायद अब कभी वहां नहीं जा पाओगी लेकिन आज उस मंदिर में माँ की प्रतिमा के सामने जाकर तुम्हारे द्वारा किए गए सारे वादे याद आ गए। वो सारे वादे जिनमें मैं और तुम, 'हम' हुआ करते थे।
#क्वीन

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