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Sunday, April 9, 2017

काश! उस दिन बात कर लेता तुमसे

जब पता लगा कि शादी के बाद तुम अपने पति के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गई तो मन में एक उम्मीद जगी कि 10 साल के बाद शायद तुमसे अचानक किसी मॉल, किसी मार्केट में मुलाकात हो जाए। उस दिन मैं क्लास लेने के लिए मेट्रो से हौज खास जा रहा था। राजीव चौक पर जब येलो लाइन मेट्रो पर चढ़ा तभी अचानक मेट्रो का गेट बंद होते होते रुक गया। बैग फंस गया था तुम्हारा, तुम अंदर आयी और मैं पीछे मुड़ा। उस भीड़ में तुम्हारी नजरें तो मुझसे नहीं मिल पायीं लेकिन तुम्हें अपने सामने देखकर ऐसा लगा जैसे वर्षों की कामना पूरी हो गई।

तुम मेरे सामने थी लेकिन मैं तुमसे बात नहीं करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। मैं चाहता था कि बात करने से पहले एक बार फिर से तुम्हारी नजरों से मेरी नजरें मिल जाएं। मैं चाहता था कि तुम एक बार थोड़ा सा बाईं ओर घूम जाओ और मैं तुम्हारी आँख के किसी कोने में खुद को संजोया हुआ देख लूं। लेकिन तुम तो जैसे किसी और ही दुनिया में ही खोई थी। फिर मन किया कि चलो बात कर ही लूं लेकिन दूसरे ही पल 5 महीने पुरानी तुम्हारी शादी की वह तस्वीर मेरी आँखों के सामने गयी जो तुमने अपने पति के साथ #बार_बार_देखो लिखकर पोस्ट की थी।

मैं इन्हीं उलझनों में फंसा था कि ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन आ गया और तुम मेट्रो से उतर कर चंद पलों में मेरी आँखों के सामने से ओझल हो गई। फिर से तुम्हारे इतना करीब आकर दूर जाने के अहसास को झेलना मेरे लिए शायद नामुमकिन सा था, शायद इसीलिए मेरी आंख खुल गई और मैं उस सुखद स्वप्न से बाहर आ गया। सुबह का 5:30 बज रहा था। 

कहते हैं सुबह के सपने सच हो जाते हैं। काश! मेरा यह सपना सच हो जाये, अगर ऐसा हुआ तो इस बार तुमसे बात करने से खुद को नहीं रोकूंगा। और अगर यह सपना कभी सच नहीं हुआ तो आज से 10 साल बाद भी खुद को इस बात के लिए कभी माफ नहीं कर पाऊंगा कि उस सपने में तुमसे बात नहीं की। काश! मैं उस हसीन सपने में तुमसे बात कर लेता, तो शायद वो सपना कुछ ज्यादा लंबा हो जाता और मुझे सपने में ही सही लेकिन तुम्हारे साथ बिताने के लिए कुछ और टाइम तो मिल जाता...
#क्वीन

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