दुल्हन बनने जा रही हो तुम... अब किसी और के हाथों में होगा तुम्हारा हाथ... तुम्हारे सपने पूरे हो रहे हैं, उन सपनों को नई उड़ान मिल रही है... लेकिन क्या तुम्हें वह उड़ान याद है, जो हमने साथ मिलकर उड़ी थी? शर्मिंदा हो ना उस पर? जिस उड़ान के दौरान पंख ही टूट जाएं और परिंदा निढाल होकर जमीन पर गिर जाए तो शर्मिंदा होना तो बनता ही है... लेकिन अगर उसदिन तुम्हारे पर न टूटे होते और तुम न गिरी होती तो विश्वास मानो आज इन नए पंखों के साथ तुम इस उड़ान को न भर पाती...
हमने जिन पलों को साथ बिताया है, उन्हें याद करके शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं... क्योंकि मुझे पता है कि अगर तुम शर्मिंदा हुई तो तुम्हारी आंखों में आंसू आएंगे और जिन आंखों में मैंने अपने लिए बेपनाह मोहब्बत देखी है, उनमें आंसू आएं, यह मुझे अच्छा नहीं लगेगा...
बहुत बेरुखी दिखाई थी मैंने तुम्हें और तुमने वह बेरुखी मुझसे सीख ली और फिर उसे मुझ पर ही अजमाया... गलती तो मेरी ही थी... लेकिन मेरी बेरुखी की एक वजह थी... तुम्हारे अंदाज-ए-मोहब्बत ने मुझे मजबूर कर दिया था... हर दिन एक नया जख्म और फिर ख्याल रखने की हिदायत, मोहब्बत करते करते अपनी कद्र खो दी थी मैंने, मजबूरी हो गई थी बेरुखी करना... ऐतबार की वे कड़ियां, इंतजार की वे घड़ियां, तुम्हारे साथ बिताए गए वे लम्हें और तुम्हारे वे अधूरे वादे... तुमसे जुड़ा सब कुछ मेरे लिए बेहद खास है... इन खास चीजों को मैं कभी खुद से दूर नहीं करूंगा... बस इतना सा ही वादा है और कुछ नहीं दे सकता मैं तुम्हें.... और हां! मैं अपने वादे कभी नहीं तोड़ता...
#क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
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Saturday, November 26, 2016
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