आज अगर कोई पूछे कि उस रिश्ते से मुझे क्या मिला तो मैं बस चुपचाप अपनी आंखे बंद करके दिल में बसे कुछ 'लम्हों' को ही अपनी कमाई बता सकता हूं... कुछ टूटे से, कुछ बिखरे से और कुछ अधूरे लम्हें... उन लम्हों की सबसे खास बात पता है क्या थी? सपने तोड़ देने वाले उन लम्हों में उम्मीद की झलक हमेशा बनी रहती थी... उन टूटे सपनों में तुम्हारी मजबूरी दिखती थी मुझे लेकिन मेरी बेबसी हमेशा तुम्हारी मजबूरी को हराकर मुझे एक उम्मीद दे जाती थी।
उस मंदिर में पीपल के पेड़ पर बांधे गए धागे की गांठ तुम्हारा नाम लेकर ही तो बांधता था... 'तुम कभी मुझसे दूर ना जाओ' यही तो मांगा था मैंने भगवान से और देखो आज मेरे दिल के साथ-साथ मेरे अल्फाजों में भी बस गई हो तुम... शब्द तो ब्रह्म का स्वरूप होता है, उसका आधार बनना इतना आसान तो नहीं होता... पर आसान काम मेरे राम मुझसे कराते भी कहां हैं...
बहुत कम लोग होते हैं जिनकी जरूरत और ख्वाहिश दोनों एक ही हो... उन चुनिंदा लोगों में मैं भी था जिसकी जरूरत और ख्वाहिश दोनों तुम ही थी और देखो ना मेरी ख्वाहिश कुछ इस तरह पूरी हुई कि जिंदगी भर के लिए तुम मेरे अल्फाजों में बस गई। मेरे दिल में दबी वो अनकही बातें, उन अल्फाजों के सहारे ही बाहर आती है और मेरी मासूम सी मोहब्बत इन अल्फाजों में मुस्कुराती दिखाई देती है। बस कोशिश ये है कि इन अल्फाजों को पढ़कर शर्म से लाल हुए अपने गालों को अपनी भूरी आंखों से शीशे के सामने खड़े होकर देखो तो तुम्हारे मासूम चेहरे के गुलाबी होठों पर भी मुस्कान तैर जाए...
#क्वीन
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