कितना मुश्किल होता है उस इंसान की आंखों में आंसू देखना जिससे आप मोहब्बत करते हैं... पर उस दिन तुम्हारी आंखों के आंसू अच्छे लगे क्योंकि वे आंसू मेरे लिए थे, तुम्हें डर था मुझसे दूर जाने का... उस दौर में एक-एक महीना ऐसे बीतता था जैसे एक-एक दिन हो... तुम्हारे साथ समय का पता ही नहीं लगता था। कुछ साल बीते, और आ गई 16 नवंबर की वह शाम... जब एक बार फिर से तुम्हारी आंखों में आंसू दिखे... पर इस बार वे आंसू मेरे लिए नहीं थे... तुम्हारी आंखों में आंसू देखकर मैं तुम्हारे उस डर को समझ गया था।
तुम कहती थी ना कि कभी तुम्हारा नाम किसी को ना बताऊं... देखो इतने सालों तक मैं लोगों को गोल-गोल घुमाता रहा लेकिन कल यानी 16 नवंबर को एक बार फिर उसी शाम की बेरुखी में खो गया। छोटी बहन की मासूमियत ने मेरे बंद होठों को खुलने पर मजबूर कर ही दिया... उस शाम प्यार हारा था और कल प्यार से हार गया। बता दिया उसे तुम्हारा नाम लेकिन उसी वादे के साथ जो मैंने तुमसे किया था।
जब तुम इसे पढ़ रही होगी तो पता नहीं तुम्हें कैसा लगेगा... लेकिन मेरा विश्वास करो... जितना विश्वास तुम मुझ पर करती हो ना उतना ही मैं उस पर करता हूं... जैसे मैंने तुम्हारा विश्वास नहीं तोड़ा, वैसे ही वह भी मेरा विश्वास नहीं तोड़ेगी... पहली और शायद आखिरी इंसान है वो तुम्हारे नाम को जानने वाली....
#क्वीन
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