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Wednesday, November 16, 2016

तुम्हारी अजमाइश का भ्रमर जाल

एक बाग में एक फूल पर एक भंवरा और एक तितली दोनों एक साथ बैठते थे। कुछ समय बाद वे दोनों एक दूसरे से मोहब्बत करने लगे। वक्त के साथ उनकी मोहब्बत इतनी गहरी हो गई की अगर उनमें से एक को दूसरा दिखाई नहीं देता तो पहला बेचैन होने लगता था। एक दिन तितली ने भंवरे से कहा कि वह उ से जितना प्यार करती है, भंवरा उस से उतना प्यार नहीं करता। इस बात को लेकर दोनों में शर्त लग गयी कि जो ज्यादा प्यार करता है वह कल सुबह इस फूल पर पहले आकर बैठेगा। शाम को इस शर्त के साथ दोनों अपने अपने घर चले गए।

जबरदस्त ठण्ड होने के बावजूद भी अगले दिन सुबह जल्दी ही तितली फूल पर आकर बैठ गई। लेकिन भंवरा अभी तक नहीं आया था। तितली बहुत खुश थी क्योंकि वह शर्त जीत चुकी थी। कुछ देर बाद जैसे ही धूप से फूल खिला। तो तितली ने देखा कि भंवरा फूल के अन्दर मरा पड़ा है। (क्योंकि की वह शाम को घर गया ही नहीं था और रात को ठण्ड से मर गया)...

कुछ ऐसी ही कहानी हमारी भी थी। तुम मुझे अजमाती जा रही थी लेकिन तुम यह भूल गई कि मोहब्बत में अजमाने जैसा कुछ नहीं होता। तुम्हारी 'अजमाइश' के भ्रमर जाल में फंसा तो मैं था लेकिन हारी तुम थी... 

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