मुझे नहीं पता कि आज तुम कहां और कैसी हो...ना ही मैंने कभी इस बारे में पता करने की कोशिश की और ना ही पता करने की जरूरत समझी... तुम्हें पाने की कभी तमन्ना ही नहीं रही, तुम हो, बस इतना ही काफी है। क्या गलती थी तुम्हारी या मेरी जो आज हमें एक-दूसरे का पता नहीं...सच कहूं, तो वह कोई गलती नहीं थी, वह तो जरूरत थी समय की... मुझे अब उस बात का, उस दिन का बिलकुल अफसोस नहीं...
इस दुनिया में अगर कोई और किसी तरह का गुनाह करता है तो शोर मचने लगता है लेकिन जब अपना गुनाह होता है तो चुप्पी छा जाती है... पता है हममें खास बात क्या है... हम दोनों में से किसी ने एक-दूसरे को अलग होने को जिम्मेदार नहीं ठहराया। यह हमने उस दौर में किया जब 'जरूरत' रिश्तों की बुनियाद में इस कदर बैठ चुकी है कि रिश्तों की मर्यादा शून्य हो गई है। ठंड में लोग जिस सूर्य के लिए तरसते हैं, उसके बाहर आने की दुआएं करते हैं और गर्मी में उसे ही गाली देते हैं, उसी तरह से आज के रिश्ते हो गए हैं।
बस इतनी सी तमन्ना है कि कभी जिन्दगी के किसी मोड़ पर अगर हम दोनों एक-दूसरे से टकराएं तो हमें नजरें झुकाकर बात ना करनी पड़े। मैं अपने रिश्ते के अवाचित शाश्वत सत्य को हर दिन एक नया मुकाम देने की कोशिश करता रहा। हमें पता होता है कि हमारी बनाई रंगोली अगले ही दिन मिट जाएगी, फिर भी हम उसे सर्वाधिक मनमोहक, आकर्षक और कलात्मक रूप देने का प्रयास करते रहते हैं। उसी रंगोली की तरह ही मैं जानता था कि हमारे रिश्ते का कोई वजूद नहीं, कोई भविष्य नहीं लेकिन फिर भी उसे एक खूबसूरत मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया... और देखो आज लोग तुम्हें एक नए नाम से खोज रहे हैं... और तुम मेरी पहचान बनकर मेरे वजूद में जिंदा हो...
#क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
सबसे ज्यादा पढ़ी गईं पोस्ट
-
याद है ना तुमको...उस दिन तुम मेरे साथ अपने एडमिशन की बात करने के लिए कॉलेज गई थी... बहुत मुश्किल होता था तुम्हारा घर से बाहर निकलना... पहली...
-
तुम्हें अंतिम बार जब देखा था तो बहुत खुश था, इसलिए नहीँ कि तुम बहुत खूबसूरत लग रही थी बल्कि इसलिए क्योंकि मैं उस जगह पर आखिरी शख्श था जो तुम...
-
लोग कहते हैं की मैं दोहरा जीवन जीता हूँ .गंभीर चिंतन के बाद मुझे भी अहसास हुआ की वास्तव में मैं दोहरा जीवन जीता हूँ ....समाज के बीच में सा...
-
उस दिन पहली बार चैट कर रहे थे हम। अब की तरह ही मैं हिंदी में लिख रहा था और तुम अंग्रेजी में...उस दिन तुमने कहा था, 'गौरव, तुम तो इंग्लिश...
-
हिंदी माध्यम से 8वीं तक की पढ़ाई के बाद लखनऊ में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू हुई। 10वीं के अंकों को देखकर बाबा को लगा कि अचानक अंग्रेजी म...
Tuesday, October 25, 2016
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment