मेरी जिन बातों को तुम बड़ी आसानी से अनसुना कर देती थी, वे सामान्य बातें नहीं थीं, उन बातों के हर एक शब्द में बस तुम्हारा ही अहसास तो होता था...मेरी ओर चुपके से एक नजर देख कर निगाहें फेर लेना बड़ा आसान था ना तुम्हारे लिए, लेकिन तुम्हारी उस अनदेखी का दर्द आज भी दिल की गहराइयों में दबा बैठा है। तुम्हारी एक झलक के लिए अपने उसूलों तक से बगावत कर लेता था... आसान नहीं था मेरे लिए वह सब करना लेकिन करता था, जानती हो क्यों? क्योंकि तुम्हारी बेरुखी को करीब से महसूस करने की आदत पड़ गई थी...
मोहब्बत में शर्तें नहीं होतीं, बस यही मानकर तुम्हारी हर एक बात को मानता गया, मुझे तो इतना ख्याल भी नहीं रहा कि मैं तो शर्त नहीं रख रहा था लेकिन अनजाने में तुम्हारी हर एक शर्त को मानता जा रहा था। क्या मैं गलत था? नहीं, मैं तब भी सही था और आज भी सही हूं... मैं तुम्हारे सामने जितना कमजोर पड़ता था, आज परिस्थितियों के सामने उतनी ही मजबूती से खड़ा रहता हूं....
जब वह सब कुछ झेल लिया तो उसके सामने तो यह कुछ भी नहीं है... मेरी कमजोरियों को मेरी ताकत तुमने ही तो बनाया था... मुझे पता है आज तुमको मेरी बेरुखी परेशान करती होगी लेकिन यह भी तो तुमने ही सिखाया है ना....
#क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
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