याद है तुम्हें, तुमने कहा था कि अगर अब कभी 'ये' सब लिखा तो मुझसे बात मत करना। मैंने तुम्हारी नहीं मानी, खैर तुमने कहा कि जैसा मन है वैसा करो लेकिन मुझसे सपॉर्ट की उम्मीद मत रखना।
मैंने भी कब अपेक्षा की थी की कोई मेरे दायित्व में मेरा साथ देते हुए साझेदारी करेगा।
लेकिन अपने मन के उन विचारों को किससे शेयर करता जो सिर्फ मेरे थे, जो किसी और के हिस्से में नहीं आते थे।
खैर, वह भी एक दौर था...काफी सुखद भी था...
जब तुम मेरे साथ थी तब लोग मुझे पूछते थे और अब 'तुम्हें' पूछने लगे हैं।
#क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
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