तुम्हारे इसी व्यवहार की वजह से रात-दिन, सुबह-शाम मैं बस तुम्हारे ही
ख्याल में खोया रहता था। मैं हकीकत में क्या कर रहा हूं, इस सवाल का जवाब
मैं खुद नहीं खोज पा रहा था। खाना खाने से लेकर पढ़ाई करने तक, मुझे कुछ
ध्यान या याद नहीं रहता था। जो काम मुझे सबसे ज्यादा पसंद था, उसमें भी मन
लगना बंद हो गया था। अपनी पसंद का खाना बोझ लगने लगा था। बस इतनी सी तमन्ना
थी कि कॉलेज में किसी तरह तुम्हारी एक झलक दिख जाए। तुम्हारे गुलाबी होठों
से अपने नाम को सुनने की तमन्ना रहती थी।
पता नहीं कि तुम यह सब समझती भी थी या नहीं। लेकिन इतना जरूर है कि इन सबके बीच मैं खुद से एक लड़ाई लड़ने लगा था। अपने आप से अपने अस्तित्व की लड़ाई... एक ऐसी लड़ाई जिसे मैं जीतना नहीं चाहता था... क्योंकि अगर उस लड़ाई में मैं जीत जाता तो मेरी मोहब्बत हार जाती और मैं मेरी नजरों के सामने अपनी मोहब्बत को हारते हुए नहीं देख सकता था... और देखो, उस हार का परिणाम क्या हुआ... अपने अस्तित्व की लड़ाई को हारने के बावजूद मैंने तुम्हारा अस्तित्व 'गढ़' दिया.... एक ऐसा अस्तित्व जिसका कभी विनाश नहीं हो सकता... एक ऐसा अस्तित्व जिसमें लोग अपनी मोहब्बत का अक्स देखते हैं..
#क्वीन
पता नहीं कि तुम यह सब समझती भी थी या नहीं। लेकिन इतना जरूर है कि इन सबके बीच मैं खुद से एक लड़ाई लड़ने लगा था। अपने आप से अपने अस्तित्व की लड़ाई... एक ऐसी लड़ाई जिसे मैं जीतना नहीं चाहता था... क्योंकि अगर उस लड़ाई में मैं जीत जाता तो मेरी मोहब्बत हार जाती और मैं मेरी नजरों के सामने अपनी मोहब्बत को हारते हुए नहीं देख सकता था... और देखो, उस हार का परिणाम क्या हुआ... अपने अस्तित्व की लड़ाई को हारने के बावजूद मैंने तुम्हारा अस्तित्व 'गढ़' दिया.... एक ऐसा अस्तित्व जिसका कभी विनाश नहीं हो सकता... एक ऐसा अस्तित्व जिसमें लोग अपनी मोहब्बत का अक्स देखते हैं..
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