याद है 25 दिसंबर की वह शाम जब तुमने फोन करके 'मैरी क्रिसमस' बोला था और मैंने सनातनी अहंकार में तुमसे कह दिया था कि हिंदू त्योहार कम पड़ गए हैं क्या? 'गौरव! तुमसे तो बात करना ही बेकार है...' तुमने तुरंत यही कहते हुए फोन काट दिया था ना.... उसके बाद अगले 3 दिन तुमने मुझसे बात ही नहीं की...
मुझे याद है 29 दिसंबर को सुबह तुमने फिर फोन किया... मैं हैरान था कि रात 3 बजे तक तो मैं तुमको सैकड़ों कॉल कर चुका हूं लेकिन तुमने फोन नहीं उठाया और फिर अचानक सुबह 5:45 पर कॉल क्यों? बस मानसिक जद्दोजहद में फोन उठाकर बाहर आ गया... मन में एक अजीब सा डर था कि ऐसा क्या हुआ जो तुमने इतनी सुबह फोन कर दिया...
तुमने कहा, 'गौरव! उस दिन लखनऊ में मेरी फ्रेंड के घर पर पार्टी थी और मैंने बहुत मुश्किल से पापा-मम्मी को मनाया था, पूरे 4 महीने 11 दिन के बाद मिल सकते थे हम लेकिन तुम्हे पूरी बात सुनने की आदत ही कहां है... मुझे पता है कि अब तुम्हारी आंखों से आंसू निकलने वाले हैं लेकिन प्लीज इतना याद रखना कि तुम्हारे सिद्धान्तों पर सिर्फ तुम्हारे लिए आघात कर सकती हूं...'
अब मेरा डर पश्चाताप में बदल चुका था....
# क्वीन
'क्वीन' कौन है? इस सवाल का जवाब तो मैं भी खोज रहा हूं। मैं तो बस इतना जानता हूं कि यह सामान्य को विशिष्ट बनाने का एक प्रयास है... कोई अलंकार नहीं... सिर्फ सच्ची भावनाएं... तुम थी तो सब कुछ था... तुम नहीं हो तो भी सब कुछ है....लेकिन तब वह 'सब कुछ' अच्छा लगता था लेकिन अब.... #क्वीन
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Sunday, December 25, 2016
Tuesday, December 20, 2016
तुम्हारी पहचान बन रहा हूं मैं
मैं तुम्हें कॉल करना चाहता था, मैं तुमको बताना चाहता था कि मैं
तुम्हारे बिना नहीं रह पा रहा, मैं आज तुमसे मिलकर तुम्हें फिर से वह पल
याद दिलाना चाहता था जब तुम मेरी बाहों के आगोश में मेरी आँखों में आँखें
डालकर कह रही थी कि तुम मेरे बिना नहीं जी सकती। लेकिन मैं ऐसा कुछ भी नहीं
कर सकता क्योंकि मैं तुम्हारी आँखों में आंसू नहीं देख सकता।
तुम्हारी आँखों में खुद को खोजने वाला एक पागल सा लड़का सिर्फ उसी एक लम्हे में तो तुमसे नजरें चुराता था। मेरी ज़िन्दगी के हर एक पन्ने पर मेरी माँ के बाद तुम्हारा नाम है, क्योंकि ना ही वो मेरा साथ निभा सकीं और ना ही तुम...
तुम्हारी आँखों में खुद को खोजने वाला एक पागल सा लड़का सिर्फ उसी एक लम्हे में तो तुमसे नजरें चुराता था। मेरी ज़िन्दगी के हर एक पन्ने पर मेरी माँ के बाद तुम्हारा नाम है, क्योंकि ना ही वो मेरा साथ निभा सकीं और ना ही तुम...
मैं तो पूजा और अजान के भेद को मिटाना चाहता था, मैं चाहता था कि नफरत के
इस माहौल में मोहब्बत के फूल खिलें लेकिन वो सब मुमकिन नहीं था... मेरे राम
के आगे मेरी कहाँ चलती... अच्छा ही हुआ! अगर तुम मिल गयी होती तो शायद
सिर्फ मैं तुम्हें जानता और आज मैं तुम्हारी पहचान बन रहा हूं...
#क्वीन
#क्वीन
तुम्हारे इंतजार की वो रात
सुबह 11 बजे पहुंचना था लेकिन रात भर आँखों को आराम नहीं मिला। आँखों को
उम्मीद थी कि सुबह वो चेहरा उनके सामने होगा जिसकी लाली ने मेरी ज़िंदगी के
अंधेरे को छांट कर गुलाबी कर दिया था।
सुबह 8 बजे ही यहाँ पहुँच गया था मैं लेकिन तुम नहीं आई। सोचा था आज जी भर के तुम्हें देखूंगा, मुद्दतों से इन आँखों ने तुम्हारी आँखों की बेरुखी नहीं देखी थी...
तुम्हारी आँखों की बेरुखी में भी खुद को खोजने की मेरी वो तमन्ना पूरी न हो सकी...
सुबह 8 बजे ही यहाँ पहुँच गया था मैं लेकिन तुम नहीं आई। सोचा था आज जी भर के तुम्हें देखूंगा, मुद्दतों से इन आँखों ने तुम्हारी आँखों की बेरुखी नहीं देखी थी...
तुम्हारी आँखों की बेरुखी में भी खुद को खोजने की मेरी वो तमन्ना पूरी न हो सकी...
पता है, वहां बहुत से लोग तुमको पूछ रहे थे... कोई यह जानना चाहता था कि
नाम क्या है तुम्हारा? तो कोई यह जानना चाहता था कि तुम वहां हो भी या
नहीं... क्या बताता मैं? मेरी फितरत वादें तोड़ने कि नहीं है, तुमसे किया
गया वादा याद था मुझे, बस इसलिए खामोश ही रह गया...
#क्वीन
#क्वीन
Tuesday, December 13, 2016
वो सब मजबूरी नहीं था
तुम हमेशा कहती थी, 'तुमने दूसरों के लिए किया ही क्या है?' लेकिन मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं होता था। जब कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्रों के लिए कुछ करने का मौका मिला तो हर दिन सुर्ख़ियों में रहता था। शाम 8 बजे की न्यूज़ में जब मेरी बाइट देखकर दोस्तों से लेकर प्रिंसिपल तक कहती थीं, 'तुम तो बड़े नेता हो गए।' तो मुझे कोई ख़ुशी नहीं होती थी।
हर पल बस यही ख्याल आता था कि वो दो आँखें ये सब देख रही होंगी या नहीं, जिनकी बेरुखी ने मुझे ऐसा बना दिया। पुलिस की लाठियां खाने पर होने वाले दर्द के बाद निकलने वाली चीखों को वो सुन पाती होगी या नहीं, जिसकी प्रेरणा ने मुझे यह सब करने को मजबूर किया। तब वो सब मजबूरी था लेकिन समय बदला और फिर अहसास हुआ कि वह सब मजबूरी नहीं बल्कि मेरा दायित्व था और तुम्हारी भूमिका उसमें सिर्फ 'जामवंत' के रूप में थी।
शायद तुम्हें अहसास था कि मेरा 8 दिन का अनशन, मेरी लाठी खाने की क्षमता, मेरी सम्प्रेषणीयता, उस विश्वविद्यालय के राजा और उसकी सामंतवादी व्यवस्था का अहंकार तोड़ सकती है। तुमने मुझे मुझसे मिलाया और अब मैं तुम्हें वो पहचान दूंगा जिसकी तुम हक़दार हो, आखिर जिसने एक 'आवारा' गौरव को विश्व गौरव बनाया, उसे उसका 'अधिकार' तो मिलना चाहिए ना?
#क्वीन
हर पल बस यही ख्याल आता था कि वो दो आँखें ये सब देख रही होंगी या नहीं, जिनकी बेरुखी ने मुझे ऐसा बना दिया। पुलिस की लाठियां खाने पर होने वाले दर्द के बाद निकलने वाली चीखों को वो सुन पाती होगी या नहीं, जिसकी प्रेरणा ने मुझे यह सब करने को मजबूर किया। तब वो सब मजबूरी था लेकिन समय बदला और फिर अहसास हुआ कि वह सब मजबूरी नहीं बल्कि मेरा दायित्व था और तुम्हारी भूमिका उसमें सिर्फ 'जामवंत' के रूप में थी।
शायद तुम्हें अहसास था कि मेरा 8 दिन का अनशन, मेरी लाठी खाने की क्षमता, मेरी सम्प्रेषणीयता, उस विश्वविद्यालय के राजा और उसकी सामंतवादी व्यवस्था का अहंकार तोड़ सकती है। तुमने मुझे मुझसे मिलाया और अब मैं तुम्हें वो पहचान दूंगा जिसकी तुम हक़दार हो, आखिर जिसने एक 'आवारा' गौरव को विश्व गौरव बनाया, उसे उसका 'अधिकार' तो मिलना चाहिए ना?
#क्वीन
Thursday, December 1, 2016
उनके सवालों का जवाब हो तुम
क्या हम जिसे प्यार करते हैं, उससे शादी कर लेने को, जिन्दगी भर उसके साथ रहने को, अपने प्यार का पूरा होना माना जा सकता है? तुम शायद ऐसा ही सोचती थी... तभी तो जब तुम्हें विश्वास हो गया कि हम जिंदगी पर एक साथ नहीं रह सकते तो तुमने कहा कि हमारा प्यार, हमारी मोहब्बत पूरी नहीं हो सकती... पता नहीं मोहब्बत को लेकर तुम्हारी सोच का दायरा इतना छोटा क्यों था... तुम्हारी मोहब्बत का नहीं पता लेकिन मेरी मोहब्बत तो तुम्हें चाहने भर से ही मुकम्मल हो गई है। वो जिंदगी जो तुम्हारे साथ बिताने का ख्वाब देखा था, उसे हर दिन अपने ख्वाब में जीता हूं...
मेरे हौसले की तुम्हें भी दाद देनी पड़ेगी, इतना दर्द, इतने जख्मों के बावजूद भी होठों से अपनी मुस्कान गायब नहीं होने देता... मुझे पता है कि मेरे प्यार की शिद्दत तो ऐसी है कि मुझे भूलने के बाद भी जब भी तुम्हें किसी और से प्यार मिलेगा, तो तुम्हें सिर्फ मैं याद आऊंगा... आज तुम्हारी मुस्कान उन सभी के सवालों का जवाब है जो कहते हैं कि मोहब्बत तोड़ देती है...
#क्वीन
मेरे हौसले की तुम्हें भी दाद देनी पड़ेगी, इतना दर्द, इतने जख्मों के बावजूद भी होठों से अपनी मुस्कान गायब नहीं होने देता... मुझे पता है कि मेरे प्यार की शिद्दत तो ऐसी है कि मुझे भूलने के बाद भी जब भी तुम्हें किसी और से प्यार मिलेगा, तो तुम्हें सिर्फ मैं याद आऊंगा... आज तुम्हारी मुस्कान उन सभी के सवालों का जवाब है जो कहते हैं कि मोहब्बत तोड़ देती है...
#क्वीन
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